Allama Iqbal Shayari | Best Allama Iqbal Poetry


Allama Iqbal Shayari - Sau Sau Umeeden Bandhti Hai
सौ सौ उम्मीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई
Allama Iqbal Shayari – Sau Sau Umeeden Bandhti Hai

Allama Iqbal Shayari In Hindi

सौ सौ उम्मीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई

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मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं
तन की दौलत छाँव है आता है धन जाता है धन

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अल्लामा इकबाल की शेर शायरी

न तू ज़मीं के लिए है, न आसमाँ के लिए..
जहाँ है तेरे लिए, तू नहीं जहाँ के लिए.!

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अनोखी वज़ह है सारे ज़माने से निराले है..
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले है.!

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दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है

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अल्लामा इकबाल शायरी इन हिंदी

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

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यह दस्तूर ए जुबां बंदी है कैसा तेरी महफ़िल में
यहाँ तो बात करने को तरसती है जुबां मेरी

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बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा

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न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं

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Allama Iqbal Ki Shayari

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे

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आँख को मानूस है तेरे दर-ओ-दीवार से
अज्नबिय्यत है मगर पैदा मिरी रफ़्तार से

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हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी,
खुदा करे की जवानी तेरी रहे बे-दाग

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इधर हमसे भी बात लाख करते हैं लगावत की
उधर गैरों से भी कुछ वादे होते जाते हैं

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इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर

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Allama Iqbal Top 20 Shayari

हाँ दिखा दे ऐ तसव्वुर फिर वो सुब्ह ओ शाम तू
दौड़ पीछे की तरफ़ ऐ गर्दिश-ए-अय्याम तू

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हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा

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है आशिक़ी में रस्म अलग सब से बैठना
बुत-ख़ाना भी हरम भी कलीसा भी छोड़ दे

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अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़िन्दगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन

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Allama Iqbal 2 Line Shayari Hindi

फ़िरक़ा बंदी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
क्या ज़माने में पनपने की यही बातें हैं

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ज़मीर जाग ही जाता है गर ज़िँदा हो “इकबाल”
कभी गुनाह से पहले तो कभी गुनाह के बाद