60+ Ghalib Ki Shayari | Mirza Ghalib Shayari In Hindi


Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper - Hum To Fana Ho Gaye Unki Aankhen Dekhkar
Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper – Hum To Fana Ho Gaye Unki Aankhen Dekhkar

Ghalib Ki Shayari | 60+ Selected Mirza Ghalib Sher O Shayari In Hindi

हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर ग़ालिब,
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे!

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ तिश्ना-काम आऊँ
गर मैं ने की थी तौबा साक़ी को क्या हुआ था

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

मैं ने चाहा था कि अंदोह-ए-वफ़ा से छूटूँ
वो सितमगर मिरे मरने पे भी राज़ी न हुआ

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

दे मुझ को शिकायत की इजाज़त कि सितमगर
कुछ तुझ को मज़ा भी मिरे आज़ार में आवे

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

न था कुछ तो, खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता…।

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

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Mirza Ghalib Shayari | मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही
जिस को हो दीन ओ दिल अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

और बाज़ार से ले आए अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मिरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है

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Mirza Ghalib Shayari - Unke Dekhe Se Jo Aa Jati Hai Muh Par Raunak
Mirza Ghalib Shayari – Unke Dekhe Se Jo Aa Jati Hai Muh Par Raunak

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

शहादत थी मेरी क़िस्मत में जो दी थी ये ख़ू मुझ को
जहाँ तलवार को देखा झुका देता था गर्दन को

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बेख़बर सोता
रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ रहज़न को

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

रहिए अब ऐसी जगह के जहां कोई न हो,
हम सुखन कोई न हो और हम ज़बां कोई न हो.

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

जब तवक़्क़ो ही उठ गई ‘ग़ालिब’,
क्यूँ किसी का गिला करे कोई!

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

रोक लो गर ग़लत चले कोई,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई!

TU NAHI AUR SAHI AUR NAHI AUR SAHI SHAYARI

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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी | Galib Ki Shayari In Hindi

मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ क्या है

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना…!!

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

बे ख़ुदी बे सबब नहीं ग़ालिब
कुछ तो है जिसकी पर्दा दारी है

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Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper - Is Saadgi Pe Kaun Na Mar Jaye Ae Khuda
Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper – Is Saadgi Pe Kaun Na Mar Jaye Ae Khuda

ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

क़ासिद के आते आते ख़त इक अौर लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी

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ग़ालिब की शायरी हिंदी में | Mirza Ghalib Poetry

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

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ग़ालिब शायरी इन हिंदी | चुनिंदा मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब
गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ

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Ghalib Ki Shayari | Ghalib Ke Sher

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया

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Ghalib Ki Shayari | Ghalib Ke Sher

इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही

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Ghalib Ki Shayari | Ghalib Ke Sher

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक

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Ghalib Ki Shayari | Ghalib Ke Sher

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के

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Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper - Aaina Kyun Na Du Ki Tamasha Kahe Jise
Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper – Aaina Kyun Na Du Ki Tamasha Kahe Jise

Ghalib Ki Shayari | Ghalib Ke Sher

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

सँभलने दे मुझे ऐ ना-उम्मीदी क्या क़यामत है
कि दामान-ए-ख़याल-ए-यार छूटा जाए है मुझ से!

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता!

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
ख़ाक़ हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होते तक

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो,
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के!

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Ghalib Ki Famous Shayari | Ghalib Ke Famous Sher

ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,
ऐसा भी कोई है के सब अच्छा कहें जिसे !!

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ग़ालिब शायरी इन हिंदी | चुनिंदा मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं

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ग़ालिब शायरी इन हिंदी | चुनिंदा मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे

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ग़ालिब शायरी इन हिंदी | चुनिंदा मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं,
ख़याबाँ ख़याबाँ इरम देखते हैं !!

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Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper - Tere Wade Pe Jiye Hum To Ye Jaan Jhuth Jana
Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper – Tere Wade Pe Jiye Hum To Ye Jaan Jhuth Jana

ग़ालिब शायरी इन हिंदी | चुनिंदा मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना,
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता।

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Ghalib Ke Best Sher | Ghalib Ki Best Shayari

हम है मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माज़रा क्या है ।

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Ghalib Ke Best Sher | Ghalib Ki Best Shayari

दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

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Ghalib Ke Best Sher | Ghalib Ki Best Shayari

बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देख़ते हैं

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Ghalib Ke Best Sher | Ghalib Ki Best Shayari

थी ख़बर गर्म कि ‘ग़ालिब’ के उड़ेंगे पुर्ज़े,
देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

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Ghalib Shayari Love | Ghalib Shayari Romantic

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता

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Ghalib Shayari Love | Ghalib Shayari Romantic

मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तनहा ना कर दे ‘ग़ालिब’;
रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं।

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Ghalib Shayari Love | Ghalib Shayari Romantic

कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता!

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Ghalib Shayari Love | Ghalib Shayari Romantic

जब तवक़्क़ो ही उठ गई ‘ग़ालिब’,
क्यूँ किसी का गिला करे कोई!

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Ghalib Shayari Love | Ghalib Shayari Romantic

रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है

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Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper - Ya Rab Wo Na Samjhe Hai
Mirza Ghalib Shayari Hindi Wallpaper – Ya Rab Wo Na Samjhe Hai

Ghalib Shayari Sad | Ghalib Shayari Zindagi

या-रब वो न समझे हैं न समझेंगे मिरी बात
दे और दिल उन को जो न दे मुझ को ज़बाँ और

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Ghalib Shayari Sad | Ghalib Shayari Zindagi

मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या-रब कई दिए होते

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Ghalib Shayari Sad | Ghalib Shayari Zindagi

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले!

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Ghalib Shayari Sad | Ghalib Shayari Zindagi

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल,
इन्सान हूँ पियाला-ओ-साग़र नहीं हूँ मैं.

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

तुम जानो तुमको ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो,
मुझको भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो..!

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

उन्हें मंजूर अपने जख्मीयों का देख आना था
उठे थे सैर-ए गुल को देखना शोख़ी बहाने की

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तिरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया

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Ghalib Shayari Collection | Ghalib Shayari Chuninda

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

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