अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है l
मक़सद न हो कोई, तो बग़ावत फ़िजूल है l
रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज,
माँ बाप खुश ना हों तो, सारी इबादत फ़िजूल है l
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Maa Baap Par Sher O Shayari – मेरे बच्चे तुझे और क्या चाहिए
मेरे बच्चे तुझे…………………और क्या चाहिए
बूढ़े माँ बाप ने तुझको अपनी जवानी दी है !!