अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ