महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है,
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे,
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है;
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है,
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे,
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।