अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
– शकील आज़मी
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
– शकील आज़मी
Raakh Guzray Hue Lamho’n Ki Kureda Na Karo
Bekhayali Main Kabhi Ungliyan Jal Jayengi…!!!